दोस्ती की शक्ति - एक जानवरों की कहानी
एक छोटे से गांव के किनारे एक घना जंगल था, जिसमें कई तरह के जानवर रहते थे। उस जंगल में सबसे अद्भुत दोस्ती की कहानी एक छोटे से खरगोश और एक बड़े से बाघ की थी। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची दोस्ती किसी भी रूप में हो सकती है, और यह केवल हमारे दिल पर निर्भर करती है, न कि हमारी नस्ल या आकार पर।
जंगल के एक कोने में एक छोटा सा खरगोश नामक "चिंकी" रहता था। चिंकी का रंग सफेद था और उसकी आँखों में हमेशा एक चमक रहती थी। वह बहुत ही शरारती और प्यारा था, लेकिन उसका एक बड़ा डर था – बाघ। बाघों से हर छोटा जानवर डरता था, और चिंकी भी इस डर से बचने के लिए हमेशा बहुत सतर्क रहता था।
इसी जंगल में एक बड़ा बाघ रहता था जिसका नाम "राजा" था। राजा जंगल का शेर था। उसकी मांसल शरीर और डरावनी आवाज से सभी जानवर कांपते थे। हालांकि, राजा को अपनी ताकत का कोई घमंड नहीं था, वह एक गंभीर और शांत स्वभाव का बाघ था। लेकिन क्योंकि उसकी उपस्थिति से बाकी जानवर डरते थे, उसने खुद को अकेला कर लिया था और किसी से दोस्ती नहीं की थी।
एक दिन की बात है, चिंकी जंगल में खेलते-खेलते एक गहरे गड्ढे के पास पहुंच गया। गड्ढा काफी गहरा था और चिंकी अनजाने में उसमें गिर पड़ा। वह पूरी तरह से चोटिल हो गया था और उसे खुद को बाहर निकालने की ताकत नहीं बची थी। वह दर्द से कराह रहा था, और उसकी आवाज जंगल के बाकी जानवरों तक भी नहीं पहुंच रही थी क्योंकि वह गड्ढे में बहुत गहरे नीचे गिर चुका था।
चिंकी की स्थिति बहुत ही गंभीर थी। उसकी चीखें सुनकर पास के पेड़ों से एक बाघ की आहट आई। यह राजा था। राजा ने गड्ढे के पास आकर देखा और चिंकी को नीचे पड़ा पाया। उसने पहले तो सोचा कि शायद यह एक शिकार है, लेकिन जब उसने ध्यान से देखा, तो उसे यह महसूस हुआ कि यह छोटा सा खरगोश केवल चोटिल हुआ है और उसकी मदद की जरूरत है।
राजा ने आवाज दी, "तुम ठीक हो, छोटे?"
चिंकी थोड़ी हिम्मत जुटाकर बोला, "मैं ठीक नहीं हूं, बाघ भाई। मैं गड्ढे में गिर गया हूं और मुझे बाहर निकलने का कोई तरीका नहीं मिल रहा।"
राजा ने बिना किसी डर या हिंसा के उस गहरे गड्ढे के पास आकर अपनी लंबी पूंछ को नीचे किया। उसने चिंकी से कहा, "तुम घबराओ मत, मैं तुम्हारी मदद करूंगा।" राजा ने अपनी ताकत से पूंछ को नीचे किया और चिंकी को धीरे-धीरे ऊपर खींचने लगा। कुछ देर में चिंकी गड्ढे से बाहर आ गया। वह थका हुआ और दर्द से कांपता हुआ था, लेकिन राजा की मदद से उसे राहत मिली।
"तुमने मेरी जान बचाई," चिंकी ने कहा, "तुमसे पहले मैं बाघों से बहुत डरता था, लेकिन आज तुमने मुझे अपनी मदद से यह दिखा दिया कि तुम एक अच्छा और दयालु बाघ हो।"
राजा हल्के से मुस्कुराया और बोला, "मैंने जो किया, वह केवल एक दोस्ती का फर्ज था। तुम छोटा हो, लेकिन तुम्हारी भी जिंदगी की क़ीमत है।"
इस घटना के बाद, चिंकी और राजा के बीच एक गहरी दोस्ती की शुरुआत हुई। चिंकी अब कभी भी राजा से डरता नहीं था। वह उसे अपने दोस्त की तरह मानने लगा और दोनों अक्सर एक-दूसरे के साथ समय बिताने लगे। जंगल में और बाकी जानवरों के बीच यह बात फैल गई कि राजा और चिंकी अच्छे दोस्त हैं। यह सुनकर जंगल के बाकी जानवरों ने भी राजा को देखा और महसूस किया कि वह उतना डरावना नहीं था जितना उन्होंने सोचा था।
समय के साथ, राजा और चिंकी का दोस्ती का रिश्ता और भी गहरा हो गया। चिंकी राजा के साथ शिकार करने की बातें करता, जबकि राजा चिंकी से जंगल के उन हिस्सों के बारे में जानता, जहां वह नहीं जा पाता था। दोनों के पास एक-दूसरे से सीखने के बहुत कुछ था।
एक दिन जंगल में एक बड़ा तूफान आया। तेज़ बारिश और हवाएं चलने लगीं, और सभी जानवर अपने घरों में दुबक गए। चिंकी अपनी बिल में छुपा था, लेकिन अचानक उसे महसूस हुआ कि राजा कहीं नजर नहीं आ रहा। चिंकी ने डरते-डरते जंगल में राजा को ढूंढने की ठानी।
वह राजा को ढूंढते-ढूंढते एक गहरे जंगल के हिस्से में पहुंचा, जहां राजा फंसा हुआ था। एक बड़ा पेड़ उसकी रास्ते में गिर चुका था और वह उसमें फंसा हुआ था। चिंकी बिना एक पल की देरी किए दौड़ा और राजा को अपनी पूंछ से मदद करने का विचार किया। वह छोटा जरूर था, लेकिन उसकी हिम्मत और दोस्ती की भावना बड़ी थी।
चिंकी ने राजा को बाहर निकाला और उसे सुरक्षित जगह पर ले गया। राजा ने चिंकी को देखा और कहा, "तुमने मेरी जान बचाई, छोटे दोस्त। तुमने साबित कर दिया कि सच्चे दोस्त कभी भी साथ छोड़ते नहीं हैं।"
चिंकी ने कहा, "दोस्ती का मतलब सिर्फ साथ रहना नहीं होता, राजा। इसका मतलब है एक-दूसरे की मदद करना और हमेशा एक-दूसरे के लिए खड़ा रहना।"
राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुमने आज मुझे सच्ची दोस्ती का मतलब समझाया, चिंकी।"
और इस तरह जंगल में एक बड़ी सीख फैली - सच्ची दोस्ती सिर्फ आकार और ताकत पर नहीं, बल्कि दिल से आती है। चिंकी और राजा की दोस्ती ने सभी जानवरों को यह सिखाया कि चाहे आप किसी भी रूप में हों, अगर दिल साफ है और इरादे नेक हैं, तो दोस्ती किसी से भी की जा सकती है।
समाप्त।
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